माला से कब और कैसे करें जाप, जानिए क्या है इसका महत्व?
माला से कब और कैसे करें जाप, जानिए क्या है इसका महत्व?
मंत्र गणना को निश्चित संख्या मे जपने का सर्वश्रेष्ठ साधन माला है। लोग ओर भी कई विभिन्न तरीके से मंत्र जाप करते हैं। जैसे कुछ लोग चावल या उँगलियों के पोर से भी गणना करते हैं लेकिन माला से जाप करना पूर्णतया शुद्ध सात्विक है। विभिन्न प्रयोजनों के लिए अलग अलग माला का विधान है, तत्पश्चात ही जाप का पूर्ण फल होता है। प्रत्येक श्वांस के साथ एक मन्त्र जाप श्रेष्ठ कहलाता है। माला धारण करने से या पूजन करने से मन सात्विक चर्म, अस्थि, रक्त, प्रवाह, वात संस्थान व संवेगों का प्रसार होता है। आयुर्वेद व एक्यूप्रेशर में भी माला जाप श्रेष्ठ है। माला सदैव गौमुखी में ही जपें। मालाओं के विषय में आप सभी बहुत कुछ जानते है, अतः हम जप के प्रकार और माला की उपयोगिता पर चर्चा करेंगे।
जाप तीन प्रकार के होते है-
- वाचिक:- जिस जाप मे मंत्र का उच्चारण दूसरे व्यक्ति को सुनाई देने या पड़ने लगे उसे वाचिक जाप कहते हैं।
- उपांशु:- इसमे मंत्र का जाप इस प्रकार से करना होता है की होंठ तो हिलते हुए दिखाई दें परंतु न तो खुद को सुनाई दे और न ही दूसरों को सुनाई दे उपांशु जाप कहलाता है।
- मानसिक:- इसमे जीभ, दांत तथा होंठ ना हिले केवल मन मे चिंतन किया जाए उसे मानसिक जाप कहते हैं। मानसिक जाप को ऋषि मुनियों ने अजपा जाप के नाम से भी संबोधित किया है।
माला के दानों की संख्या
- अभिचार प्रयोग में वाचिक जाप करें अर्थात मंन्त्रों का उच्च स्वर से उच्चारण करें, शान्ति एवं पुष्टि के कर्म में उपांशु अर्थात दूसरे को सुनाई न पड़े। मोक्ष व ज्ञान प्राप्ति के निमित्त मानसिक जाप करें।
- शान्ति और पुष्टि कर्म करने के लिए 27 दानों वाली माला का प्रयोग करना चाहिए।
- किसी को वश में करना हो उसके लिए जाप करना हो तो 15 दानों वाली माला का उपयोग करें।
- किसी को मोहना हो तो 10 दानों वाली माला का उपयोग करें।
- उच्चाटन करने के लिए 29 दानों वाली माला का प्रयोग करें।
- विद्वेषण करने के 21 दानों वाली माला का उपयोग करें।
- यदि स्तम्भन करना हो तो 15 दानों वाली माला का उपयोग करें।
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